पृथ्वी और उसका सौर्यिक संबंध



 प्रकाश चक्र:- वैसे काल्पनिक  रेखा जो पृथ्वी के प्रकाशित और अप्रकाशित भाग को बांटती है।

पृथ्वी की गतियां:- पृथ्वी की दो गतियां है

  • घूर्णन अथवा दैनिक गति।
  • परिक्रमण अथवा वार्षिक गति।

घूर्णन अथवा दैनिक गति:- पृथ्वी सदैव अपने अक्ष पर पश्चिम से पूर्व घूमती रहती है जिसे पृथ्वी का घूर्णन या परिभ्रमण कहते हैं । इसके कारण दिन व रात होते हैं। अतः इस गति को दैनिक गति भी कहते है।

परिक्रमण या वार्षिक गति:- पृथ्वी अपने अक्ष पर घूमने के साथ-साथ सूर्य के चारों ओर एक दीर्घवित्तीय मार्ग पर परिक्रमा करती है जिसे परिक्रमण या वार्षिक गति कहते है। पृथ्वी को सूर्य की एक परिक्रमा पूरा करने में 365 दिन 6 घंटे का समय लगता है।

उपसौर :- पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा दीर्घवृत्तीय कक्षा में करती है जिसके एक कोकस पर सूर्य होता है । जब पृथ्वी सूर्य के अत्यधिक पास होती है तो उसे उपसौर कहते हैं । ऐसी स्थिति 3 जनवरी को होती है । ऐसी स्थिति में पृथ्वी और सूर्य के बीच की दूरी 14 .70 करोड़ किलोमीटर है।

अपसौर :- पृथ्वी से जब सूर्य से अधिकतम दूरी पर होती है तो उसे अपसौर कहते हैं । ऐसी स्थिति 4 जुलाई को होती है । ऐसी स्थिति में पृथ्वी और सूर्य के बीच की दूरी 15.21 करोड़ किलोमीटर होती है।

एपसाइड रेखा :- उपसौरिक एवं अपसौरिक को मिलाने वाली काल्पनिक रेखा सूर्य के केंद्र से गुजरती है। इसे एपसाइड देखा कहते है।

अक्षांश:- भू-पृष्ठ पर विषुवत रेखा के उत्तर या दक्षिण में एक  याम्योत्तर पर किसी भी बिंदु पर पृथ्वी के केंद्र से मापी गई कोणीय दूरी अक्षांश कहलाती है । इसे अंशो, मिनटों व सेकेंडो में दर्शाया जाता है ।

विषुवत रेखा को शून्य अंश की स्थिति में माना जाता है यहां से उत्तर की ओर बढ़ने वाली कोणीय दूरी को उत्तरी अक्षांश तथा दक्षिण में बढ़ने वाली दूरी को दक्षिणी अक्षांश कहते है। इसकी अधिकतम सीमा पर धुर्व है, जिन्हें 90° उत्तरी या दक्षिणी अक्षांश कहा जाता है। इस प्रकार 181 अक्षांश रेखाएं होती हैं । 

सभी अक्षांश रेखाएं समानांतर होती है। दो अक्षांशों के मध्य की दूरी 111 किलोमीटर होती है।

भूमध्य रेखा के उत्तर में 230 30’ अक्षांश को कर्क रेखा माना गया है जबकि दक्षिण में 230 30’ अक्षांश को मकर रेखा माना गया ।

देशांतर :-  किसी स्थान की कोणीय दूरी जो प्रधान  याम्योत्तर के पूरब या पश्चिम में होती है, देशांतर कहलाती है। यह रेखाएं समानांतर नहीं होती है। 

यह रेखायें उत्तरी तथा दक्षिणी ध्रुव पर एक बिंदु पर मिल जाती है । ध्रुवो से   विषुवत रेखा की ओर बढ़ने पर देशांतरों के बीच की दूरी बढ़ती जाती है तथा विषुवत रेखा पर इसके बीच की दूरी बीच की दूरी अधिकतम (111.32 किमी) होती है ।

ग्रीनविच वेधशाला से गुजरने वाली रेखा को 0° देशांतर माना जाता है। इसके बाई ओर की रेखाएं पश्चिमी  देशांतर और दाहिनी ओर की रेखाएं पूर्वी देशांतर कहलाती हैं। यह क्रमशः पश्चिमी गोलार्ध एवं पूर्वी गोलार्ध कहलाते है। 

गोलाकार होने के कारण पृथ्वी 24 घंटे में 360° घूम जाती है,अतः 1°देशांतर की दूरी तय करने में पृथ्वी को 4 मिनट का समय लगता है।

देशांतर के आधार पर ही किसी स्थान का समय ज्ञात किया जाता है। दो देशांतर रेखाओं के बीच की दूरी गोरे नाम से जानी जाती।

शून्य अंश अक्षांश एवं शून्य अंश देशांतर अटलांटिक महासागर में कटती है।

संक्रांति:- सूर्य के उत्तरायण और  दक्षिणायन की सीमा को संक्रांति कहते है।

कर्क संक्रांति:- 21 जून को सूर्य कर्क रेखा पर लंबवत होता है, इसे कर्क संक्रांति कहते हैं। इस दिन उत्तरी गोलार्ध में सबसे बड़ा दिन होता है।

मकर संक्रांति:- 22 दिसंबर को सूर्य मकर रेखा पर लंबवत होता है। इसे मकर संक्रांति कहते हैं इस दिन दक्षिणी गोलार्ध में सबसे बड़ा दिन होता है।

विषुव :- यह पृथ्वी का वह स्थिति है, जब सूर्य की किरणें विषुवत रेखा पर लंबवत पड़ती है और सर्वत्र दिन एवं रात बराबर होते है। 23 सितंबर एवं 21 मार्च को संपूर्ण पृथ्वी पर दिन एवं रात बराबर होते हैं । इससे  क्रमशः शरद विषुव एवं वसंत विषुव कहते है।

21 मार्च से 23सितंबर की अवधि में उत्तरी गोलार्ध सूर्य का प्रकाश 12 घंटे या अधिक समय तक प्राप्त करता है। अतः यहां दिन बड़े एवं रातें छोटी होती हैं। जैसे- जैसे उत्तरी ध्रुव की ओर बढ़ते जाते हैं ,दिन की अवधि भी बढ़ती जाती है। उत्तरी ध्रुव पर तो दिन की अवधि 6 महीने की होती है। 

23 सितंबर से 21 मार्च तक सूर्य का प्रकाश दक्षिणी गोलार्ध में 12 घंटे या अधिक समय तक प्राप्त होता है जैसे -जैसे दक्षिणी ध्रुव की ओर बढ़ते हैं दिन की अवधि भी बढ़ती है दक्षिणी ध्रुव पर इसी कारण 6 महीने तक दिन रहता है। इसी प्रकार उत्तरी ध्रुव एवं दक्षिणी ध्रुव दोनों पर ही 6 महीने तक दिन व 6 महीने तक रात्रि होती है।

नोट:- पृथ्वी का अपने अक्ष पर झुकी होने के कारण दिन व रात छोटा बड़ा होता है।

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