- अस्तित्वमान द्रव्य और ऊर्जा के सम्मिलित रूप को ब्रह्मांड कहते हैं
- दूसरे शब्द में सूक्ष्मतम अणुओ से लेकर महाकाय आकाशगंगाओं तक के सम्मिलित स्वरूप को ब्रह्मांड कहा जाता है।
ब्रह्मांड की उत्पत्ति के संदर्भ में अनेक सिद्धांतों का प्रतिपादन किया गया जिन्हें निम्न प्रमुख है -
- महा विस्फोटक सिद्धांत- ऐब जार्ज लैमेन्टेयर।
- साम्यवस्था या स्तत सृष्टि सिद्धांत या स्थिर अवस्था संकल्पना - थॉमस गोल्ड एवं हरमन बॉडी।
- दोलन सिंद्धांत - डाक्टर ऐलन संडेजा
- स्फीति सिद्धांत - एलेन गुथ
- ब्राह्मण की उत्पत्ति के सम्बंध में महाविस्फोटक सिंद्धांत सर्वाधिकमान्य सिद्धांत है । इसका प्रतिपादन बेल्जियम के खगोलज्ञ एव पादरी ऐब जॉर्ज लाइमेन्टर ने किया था । बाद में रॉबर्ट बेगोनेर ने इस सिंद्धांत की व्याख्या की ।
महाविस्फोट सिंद्धांत के अनुसार :- आरम्भ में वे सभी पदार्थ, जिनमें ब्रह्माड , अति छोटी गोलक के रूप में एक ही स्थान पर स्थित था , जिनका आयतन अत्यधिक तापमान तथा घनत्व अनन्त था ।
अत्यधिक संकेन्द्रण के कारण बिंदु का आकस्मिक विस्फोट हुआ , जिसे महाविस्फोटक ब्रह्मामंडीय विस्फोट कहा गया । इस अचानक विस्फोट से पदार्थो का बिखराव हुआ, जिससे सामान्य पदार्थ निर्मित हुये । इसकी अलगाव के कारण काले पद्धार्थ बने , जिनके समूहन से अनेक ब्रह्माण्डीय पिंडो का सृजन हुआ ।
वैज्ञानिकओ का विश्वास है कि महाविस्फोटक की घटना आज से 13.7 अरब वर्ष पहली हुई थी। महाविस्फोटक के लगभग 10.5 अरब वर्ष पश्चात यानी आज से 4. 5 अरब वर्ष पूर्व सौरमंडल का विकास हुआ । जिसमें ग्रहो तथा उपग्रहों का निर्माण हुआ । इस प्रकार बिग बैंग परिघटना से ब्राह्मण की उत्पत्ति हुई और तभी से उसमें निरन्तर विस्तार जारी है । इसकी साक्ष्य के रूप में आकाशगंगाओ के बीच बढ़ती दुरी का साक्ष्य दिया जाता है। NASA ने 2001 ईस्वी में MAP (microwave Anisotrophy Probe )नामक अनुसन्धान में इसकी पुष्टि की ।
नोट:- नासा द्वारा 30 जून ,2001 को डेविड विलिकीसन के नेतृत्व में बिग बैंग की पुष्टि हेतु मैप परियोजना का शुभारंभ किया गया। मैप एक खोजी उपग्रह है । इससे प्राप्त चित्रो से बिग बैग की पुष्टि होती है।
ब्रह्मांड के रहस्य को जानने के लिए 30 मार्च 2010 को यूरोपियन सेंटर फॉर न्यूक्लियर (CERN) ने जेनेवा में पृथ्वी की सतह से 50 से 175 मीटर नीचे 27.36 किलोमीटर लंबे सुरंग में लार्ज हैड्र्न कोलाइजर (LHC) नमक महाप्रयोग सफलतापूर्वक किया गया। ( सितंबर 2008 में यह महाप्रयोग असफल रहा था) इसमें प्रोटान बिमो को लगभग प्रकाश की गति से टकराया गया तथा हिग्स बोसान के निर्माण का प्रयास किया गया । माना जाता है कि गार्ड पार्टिकल के नाम से जाना जाने वाला हिग्स बोसान में ही ब्रह्मांड के रहस्य छिपे हैं ,क्योंकि यह सबसे बेसिक यूनिट माना जाता है । CERN ने 4 ,जुलाई 2012 को हिग्स बोसान से मिलता जुलता सब- एटॉमिक पार्टिकल की खोज करने में सफलता हासिल की है इससे ब्रह्मांड के रहस्य को जानने के विषय में महत्वपूर्ण उपलब्धि माना जा रहा है।
नोट:- ब्रिटिश वैज्ञानिक हिग्स ने 1964 में कॉस्मोलॉजी समझने हेतु गॉड पार्टिकल परमाण्विक अवधारणा को पेश किया था जो भारतीय वैज्ञानिक सत्येंद्रनाथ बोस के बोसन थ्योरी पर आधारित थी।
- ब्रह्मांड का व्यास 108 प्रकाश वर्ष है । ब्रह्मांड में अनुमानतः सौ अरब मंदाकिनी( Galaxy) है।प्रत्येक मंदाकिनी में अनुमानतः100 अरब तारे होते है।
- मंदाकिनी:- तारों का ऐसा समूह जो धुंधला सा दिखाई पड़ता है तथा जो तारा निर्माण प्रक्रिया की शुरुआत का गैस पुंज है, मंदाकिनी कहलाता है। हमारी पृथ्वी की अपनी एक मंदाकिनी है ,जिसे दुग्धमेखला या आकाशगंगा कहते हैं। अब तक ज्ञात इस मंदाकिनी का 80% भाग सर्पिला है । इस मंदाकिनी को सबसे पहले गैलीलियो ने देखा था ।
- आकाशगंगा की सबसे नजदीकी मंदाकिनी को देवयानी (Andromeda) नाम दिया गया है ।
- नवीनतम ज्ञात मंदाकिनी (Galaxy) है।- ड्वार्फ मंदाकिनी
- आरीयन नेबुला हमारी आकाशगंगा के सबसे शीतल और चमकीले तारों का समूह है ।