शनी, अरुण, वरुण



शनी (Saturn)


यह आकर में दूसरा सबसे बड़ा ग्रह है।
यह आकाश में पीले तारे के समान दिखाई पड़ता है। 
इसकी विशेषता है - इसके तल के चारों ओर वलय का होना (मोटी प्रकाश वाली कुंडली )। वलय की संख्या 7 है।
➤ शनी का सबसे बड़ा उपग्रह टाइटन है जो सौरमंडल का दूसरा सबसे बड़ा उपग्रह है । यह आकार में बुध के बराबर है । टाइटन की खोज 1665 में डेनमार्क के खगोल शास्त्री क्रिश्चयन हाईज़ोन ने की यह एकमात्र ऐसा उपग्रह है जिसका पृथ्वी जैसा स्वयं का सघन वायुमंडल है।

फोबे नामक शनि का उपग्रह इसकी कक्षा में घूमने की विपरीत दिशा में परिक्रमा करता है।


अरुण (Uranus)


यह आकर में तीसरा सबसे बड़ा ग्रह है। इस का तापमान लगभग 215 डिग्री सेल्सियस है।
इसकी खोज 1781 ईस्वी में विलियम हर्शेल द्वारा की गई है।
 
इसके चारों ओर 9 वलयो में पांच वलयो का नाम अल्फा ,बीटा ,गामा, डेल्टा एवं एप्सिलोन है।
यह अपने अक्ष पर पूरब से पश्चिम की ओर (शुक्र के समान दक्षिणावर्त) घूमता है, जबकि अन्य ग्रह पश्चिम से पूर्व की ओर वामावर्त घूमते है।
यहां सूर्योदय पश्चिम की ओर एवं सूर्यास्त पूरब की ओर होता है।
यह अपनी धुरी पर सूर्य की ओर इतना झुका हुआ है कि लेटा हुआ सा दिखलाई पड़ता है , इसलिए इसे लेटा हुआ ग्रह कहा जाता है।
इसके सभी उपग्रह भी पृथ्वी के विपरीत दिशा में परिभ्रमण करते है।

इसका सबसे बड़ा उपग्रह टाइटेनिया है। 


  • वरुण (Neptune)

इसकी खोज 1846 ईसवी में जर्मन खगोलज्ञ जहान गाले ने  की है।


नई खगोलीय व्यवस्था में यह सूर्य से सबसे दूर स्थित ग्रह है।
यह हरे रंग का ग्रह है ।
इसके चारों ओर अति शीतल मीथेन का बादल छाया हुआ है।

इसके उपग्रह में ट्रीटॉन प्रमुख है।


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