➤ सूर्य से पृथ्वी तक पहुंचने वाले सौर विकिरण ऊर्जा को सूर्यातप कहते हैं। यह ऊर्जा लघु तरंगों के रुप में सूर्य से पृथ्वी पर पहुंचती है।
➤ वायुमंडल की बाहरी सीमा पर सूर्य से प्रति मिनट प्रति वर्ग सेमि० पर 1.94 कैलोरी ऊष्मा प्राप्त होती है।
➤ किसी भी सतह को प्राप्त होने वाली सूर्यातप की मात्रा एवं उसी सतह से परावर्तित की जाने वाली सूर्यातप की मात्रा के बीच का अनुपात एल्बिडो कहलाता है।
वायुमंडल गर्म तथा ठंडा निम्न विधियों से होता है-
विकिरण :- किसी पदार्थ को ऊष्मा तरंगों के संचार द्वारा सीधी गर्म होने को विकिरण कहते हैं। उदाहरणतया, सूर्य से प्राप्त होने वाली किरणों से पृथ्वी तथा उसका वायुमंडल गर्म होते हैं । यही एकमात्र ऐसी प्रक्रिया है ,जिससे ऊष्मा बिना किसी माध्यम के, शून्य से होकर भी यात्रा कर सकती है। सूर्य से आने वाली किरणें लघु तरंगों वाली होती है ,जो वायुमंडल को बिना अधिक गर्म किए ही उसे पार करके पृथ्वी तक पहुंच जाती है । पृथ्वी पर पहुंची हुई किरणों का बहुत- सा भाग पुनः वायुमंडल में चला जाता है । इसे भौमिक विकिरण कहते है। भौमिक विकिरण अधिक लंबी तरंग वाली किरण होती है, जिसे वायुमंडल सुगमता से अवशोषित कर लेता है । अतः वायुमंडल सूर्य से आने वाले सौर विकिरण की अपेक्षा भौमिक विकिरण से अधिक गर्म होता है।
संचालन :- जब असमान ताप वाली दो वस्तुएं एक - दूसरे के संपर्क में आती है ,तो अधिक तापमान वाली वस्तुओं से कम तापमान वाली वस्तु की ओर ऊष्मा प्रवाहित होती है । ऊष्मा का यह प्रवाह तब तक चलता रहता है जब तक दोनों वस्तुओं का तापमान एक जैसा ना हो जाए । वायु ऊष्मा की कुचालक है , अतः संचालन प्रक्रिया वायुमंडल को गर्म करने के लिए सबसे कम महत्वपूर्ण है । इससे वायुमंडल की केवल निचली परते ही गर्म होती है।
संवहन :- किसी गैसीय अथवा तरल पदार्थ के एक भाग से दूसरे भाग की ओर उसके अणुओ द्वारा ऊष्मा के संचार को संवहन कहते हैं । यह संचार गैसीय तथा तरल पदार्थों में इसलिए होता है । क्योंकि उनके अणुओं के बीच का संबंध कमजोर होता है । यह प्रक्रिया ठोस पदार्थों में नहीं होती है।
➤ जब वायुमंडल की निचली परत भौमिक विकिरण अथवा संचालन से गर्म हो जाती है तो उसकी वायु फैलती है जिससे उसका घनत्व कम हो जाता है । घनत्व कम होने से वह हल्की हो जाती है और ऊपर को उठती है । इस प्रकार वह वायु निचली परतो की उष्मा को ऊपर ले जाती है । ऊपर की ठंडी वायु उसका स्थान लेने के लिए नीचे आती है और कुछ देर बाद वह भी गरम हो जाती है । इस प्रकार संवहन प्रक्रिया द्वारा वायुमंडल क्रमशः नीचे से ऊपर गर्म होता रहता है। वायुमंडल गर्म होने में यह मुख्य भूमिका निभाता है।
अभिवहन :- इस प्रक्रिया में ऊष्मा का क्षैतिज दिशा में स्थानांतरण होता है। गर्म वायुरशिया जब ठंडे इलाकों में जाती है, तो उन्हें गर्म कर देती है । इससे ऊष्मा का संचार निम्न अक्षांशीय क्षेत्रों से उच्च अक्षांशीय क्षेत्र तक भी होता है । वायु द्वारा संचालित समुद्री धाराएं भी उष्णकटिबंधो से ध्रुवीय क्षेत्रों में ऊष्मा का संचार करती हैं ।
समताप रेखा :- वह कल्पित रेखा है ,जो समान तापमान वाले स्थानों को मिलाती है ।
➤ समताप रेखाएं तथा तापमान के वितरण के निम्न लक्षण हैं -
➤ समताप रेखाएं पूर्व- पश्चिम दिशा में अक्षांशों के लगभग समांतर खींची जाती है । इसका कारण यह है कि एक ही अक्षांश पर स्थित सभी स्थानों पर एक ही मात्रा में सूर्यातप प्राप्त होता है और तापमान भी लगभग एक जैसा ही होता है।
➤ जल और स्थान पर तापमान भिन्न होते हैं अतः तत्वों पर समताप रेखाएं अकस्मात मुड़ जाती हैं।
➤ दक्षिणी गोलार्ध में जल भाग अधिक है और वहां पर तापमान संबंधी विषमताएं कम पाई जाती हैं । इसके विपरीत उत्तरी गोलार्ध में जल भाग कम है और वहां पर तापमान संबंधी विषमताएं अधिक पाई जाती है। इस कारण दक्षिणी गोलार्ध में समताप रेखाओं में मोड़ कम आते हैं और उनकी पूर्व- पश्चिम दिशा अधिक स्पष्ट है।
➤ समताप रेखाओं के बीच की दूरी से ताप प्रवणता (तापमान के बदलने की दर )का अनुमान लगाया जा सकता है । यदि समताप रेखाएं एक- दूसरे के निकट होती है, तो ताप प्रवणता अधिक होती है । इसके विपरीत ,यदि समताप रेखाएं एक- दूसरे से दूर होती हैं तो ताप प्रवणता कम होती है।
➤ उष्णकटिबंधीय प्रदेशों में तापमान अधिक होता है अतः अधिक मूल्य वाली समताप रेखाएं उष्ण कटिबंध में होती हैं । ध्रुवीय प्रदेशों में तापमान बहुत ही कम होता है अतः वहां पर कम मूल्य की समताप रेखाएं होती हैं।
➤ संसार के अधिकांश क्षेत्रों के लिए जनवरी एवं जुलाई के महीनों में न्यूनतम अथवा अधिकतम तापमान पाया जाता है यही कारण है कि तापमान विश्लेषण के लिए बहुदा इन्हीं दो महीनों को चुना जाता है।
तापांतर :- अधिकतम तथा न्यूनतम तापमान के अंतर को तापांतर कहते हैं। यह दो प्रकार का होता है -
1- दैनिक तापांतर :- किसी स्थान पर किसी एक दिन के अधिकतम तथा न्यूनतम तापमान के अंतर को वहां का दैनिक तापांतर कहते हैं । ताप में आये इस अंतर को ताप परिसर कहते है।
2. वार्षिक तापांतर :- जिस प्रकार दिन तथा रात के तापमान में अंतर होता है, उसी प्रकार ग्रीष्म तथा शीत ऋतु के तापमान में भी अंतर होता है । अतः किसी स्थान के सबसे गर्म तथा सबसे ठंडे महीने के मध्यमान तापमान के अंतर को वार्षिक तापांतर कहते हैं । विश्व में सबसे अधिक वार्षिक तापांतर 65.5℃ साइबेरिया में स्थित बर्खोयास्क नामक स्थान का है।
➤ किसी भी स्थान विशेष के औसत तापक्रम तथा उसके अक्षांश के औसत तापक्रम के अंतर को तापीय विसंगति कहते हैं।