वायुदाब :- सामान्य दशाओं में समुद्र तल पर वायुदाब पारे के 76 सेंमी० या 760 मिमी ऊँचे स्तम्भ द्वारा पड़ने वाला दाब होता है ।
➤ वायुदाब बैरोमीटर से मापा जाता है ।
➤ वायुमंडलीय दाब को मौसम के पूर्वानुमान के लिए एक महत्वपूर्ण सूचक माना जाता है।
➤ वायुमंडलीय दाब की इकाई बार है।
समदाब रेखा :- वह कल्पित रेखा जो समुद्र तल के बराबर घटाए हुए सामान वायुदाब वाले स्थानों को मिलाती है ,समदाब रेखा कहते हैं ।
➤ वायुदाब को मानचित्र पर समदाब रेखा द्वारा दर्शाया जाता है। दूरी की प्रति इकाई पर दाब के घटने तक को दाब प्रवणता कहते हैं ।
➤ जब समदाब रेखा एक दूसरे के पास होती है तो दाब प्रवणता अधिक होती है । परंतु जब समदाब रेखाएं एक दूसरे से दूर होती है तो दाब प्रवणता कम होती है।
➤ पृथ्वी के धरातल पर 4 वायुदाब कटिबंध है-
1. विषुवत रेखीय निम्न वायुदाब :- यह पेटी भूमध्य रेखा से 10°उत्तर तथा 10° दक्षिणी अक्षांशों के बीच स्थित है । यहां सालों भर सूर्य की किरणें लंबवत पड़ती है , जिसके कारण तापमान हमेशा ऊंचा रहता है । इस कटिबंध में धरातलीय क्षैतिज पवनें नहीं चलती बल्कि अधिक तापमान के कारण वायु हल्की होकर ऊपर को उठती है और संवहनीय धाराओ का जन्म होता है । इसलिए इस कटिबंध को शांत कटिबंधीय डोलड्रम कहते हैं।
नोट :- विषुवत रेखा पर पृथ्वी के घूर्णन का वेग सबसे अधिक होता है , जिससे यहां पर अपकेंद्रीय बल सर्वाधिक होती है ,जो वायु को पृथ्वी के पृष्ठ से परे धकेलती है । इसके कारण भी यहां पर वायुदाब कम होता है।
2. उपोष्ण उच्च वायुदाब :- उत्तरी तथा दक्षिणी गोलार्धों में क्रमश कर्क और मकर रेखा से 35° अक्षांशो तक उच्च दाब पेटियां पाई जाती है ।
➤ यहां उच्च दाब होने के दो कारण हैं-
1- विषुवत रेखीय कटिबंध उसे गर्म होकर उठने वाली वायु ठंडी और भारी होकर कर्क रेखा मकर रेखा से 35 ° अक्षांशों के बीच नीचे उतरती है और उच्च वायुदाब उत्पन्न करती है।
2- पृथ्वी की दैनिक गति के कारण उपध्रुवीय क्षेत्रों से वायु विशाल राशियों कर्क तथा मकर रेखाओ से 35 डिग्री अक्षांशों के बीच एकत्रित हो जाती हैं जिससे वहां पर उच्च वायुदाब उत्पन्न हो जाती है।
नोट :- विषुवत रेखा से 30°से 35°अक्षांशों के मध्य दोनों गोलार्द्ध में उच्च वायुदाब की पेटियां उपस्थित होती हैं । इस उच्च वायुदाब वाली पेटी को अश्व अक्षांश कहते हैं। इसका कारण यह है कि मध्य युग में यूरोप में खेती के लिए पश्चिमी द्वीप समूह में पालदार जलयानों में लादकर घोड़े भेजे जाते थे प्रायः इन जलयानों को इन अक्षांशों के बीच वायु शांत रहने के कारण आगे बढ़ने में कठिनाई होती थी । अतः जलयानों का भार कम करने के लिए कुछ घोड़े समुद्र में फेंक दिए जाते थे।
3- उपध्रुवीय निम्न वायुदाब :- 45°उत्तरी तथा दक्षिणी अक्षांशों से क्रमश आर्कटिक तथा अंटार्कटिक वृतो के बीच निम्न वायु- भार की पेटियां पाई जाती है । जिससे उपधुर्वीय निम्न दाब पेटियां कहते हैं।
4- ध्रुवीय उच्च वायुदाब :- 80°उत्तरी तथा दक्षिणी अक्षांश से उत्तरी तथा दक्षिणी ध्रुव तक उच्च दाब पेटियां पाई जाती हैं।
वायु राशियां :- वायुमंडल का वह विशाल एवं विस्तृत भाग जिसमें तापमान तथा आद्रता के भौतिक लक्षण क्षैतिज दिशा में समरूप हो , वायु-राशि कहलाता है । सामान्यत वायु- राशियां सैकड़ों किलोमीटर तक विस्तृत होती हैं। एक वायुराशि में कई परतें होती हैं ,जो एक -दूसरे के ऊपर क्षैतिज दिशा में फैली होती हैं । प्रत्येक पद में वायु के तापमान तथा आद्रता की स्थिति लगभग समान होती है । यह जलवायु तथा मौसम के अध्ययन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
वाताग्र :- दो विभिन्न प्रकार की वायु -राशियां सुगमता से आपस में मिश्रित नहीं होती और तापमान तथा आद्रता संबंधी अपना अस्तित्व बनाए रखने के प्रयास करती है। इस प्रकार दो विभिन्न वायु वाली राशिया एक सीमातल द्वारा अलग रहती है। इस सीमातल को ही वाताग्र कहते हैं । जब गर्म वायु हल्की होने के कारण ठंडी तथा भारी वायु के ऊपर चढ़ जाती है तो उसे ऊष्ण वाताग्र तथा जब ठंडी तथा भारी वायु ऊष्ण तथा हल्की वायुराशि के विरुद्ध आगे बढ़ती है तो उसे ऊपर की ओर उठा देती है तो इसे शीत वाताग्र कहते है।