बौने ग्रह


बौने ग्रह

यम (Pluto)

इसकी खोज 1930 ई० में क्लाड टामओ ने की थी।
अगस्त 2006 को आई०ए० यू ०की प्राग  सम्मेलन में ग्रह कहलाने के मापदंड पर खरे नही उतरने के कारण यम को ग्रह की श्रेणी से अलग कर बौने ग्रह की श्रेणी में रखा गया है। 
  
यम को ग्रह की श्रेणी से निकाले जाने का कारण है -
  • आकर में चंद्रमा से छोटा होना।
  • इसकी कक्षा का वृत्ताकार नहीं होना
  • वरुण की कक्षा को काटता है ।
आइए यू मैं इसका नया नाम 134340 रखा है।

सेरस (Seres)


इसकी खोज इटली के खगोल शास्त्री पियाजी ने किया था। 
आई ए यू की नई परिभाषा के अनुसार इसे बौने ग्रह की श्रेणी में  रखा गया है ,जहां इसे संख्या 1 से जाना जाएगा।
इसका व्यास बुध के व्यास का 1/5 भाग है।
अन्य बौने ग्रह है चेरान एवं 2003 UB 313(इरिस)

लघु सौरमंडलीय पिंड
क्षुद्र ग्रह :- मंगल, बृहस्पति ग्रह की कक्षा के बीच कुछ छोटे-छोटे आकाशी पिंड है जो सूर्य की परिक्रमा कर रहे हैं उसे क्षुद्र ग्रह कहते हैं ।

खगोलशास्त्रियों के अनुसार ग्रहों के विस्फोट के फलस्वरुप टूटे टुकड़ों से क्षुद्र ग्रहो का निर्माण हुआ है। 

फोर वेस्टा  एकमात्र क्षुद्र ग्रह है जिसे नंगी आंखों से देखा जा सकता है।

धूमकेतु


सौरमंडल के छोर पर बहुत ही छोटे छोटे अरबो पिंड विद्यमान है, जो धूमकेतु या पुच्छल तारे कहलाते है।
यह गैस एवं धूल का संग्रह है, आकाश में लंबी चमकदार पूँछ सहित प्रकाश के चमकीले गोले के रूप में दिखाई देते है।
धूमकेतु केवल तभी दिखाई पड़ता है जब वह सूर्य की ओर अग्रसर होता है क्योंकि सूर्य किरणे इसकी गैस को चमकीला बना देती है।
धूमकेतु की पूंछ हमेशा सूर्य से दूर होता दिखाई देता है।
हैले नामक धूमकेतु का परिक्रमण काल 76 वर्ष है, यह अंतिम बार 1986 में दिखाई दिया था। अगली बारी यह 986 +786 = 2062 में दिखाई देगा।
धूमकेतु हमेशा के लिए टिकाऊ नहीं होते है, फिर भी प्रत्येक धूमकेतु के लौटने का समय निश्चित होता है।
 उल्का

उल्काएं प्रकाश की चमकीली धारी के रूप में देखते हैं जो आकाश में क्षणभर के लिए दमकती हैं और लुप्त हो जाती।

उल्काएं छुद्र ग्रहों के टुकड़े तथा धूमकेतुओ द्वारा पीछे छोड़े गए धूल के कण होते है।

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